Breaking

01/04/2022

*!! मृत्यु का भय !!*


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

दो उल्लू एक वृक्ष पर आ कर बैठे थे। एक ने अपने मुंह में सांप को दबोच  रखा था। दूसरा उल्लू एक चूहा पकड़ लाया था। 

दोनों वृक्ष पर पास-पास बैठे थे। सांप ने चूहे को देखा तो वह यह भूल ही गया कि वह उल्लू के मुंह में है और मृत्यु के करीब है, चूहे को देख कर उसके मुंह में लार बहने लगी।

चूहे ने जैसे ही सांप को देखा वह कांपने लगा, जबकि दोनों ही मृत्यु के मुंह में बैठे हैं। दोनों उल्लू बड़े हैरान हुए। 

एक उल्लू ने दूसरे उल्लू से पूछा कि भाई, इसका कुछ राज समझे? 

दूसरे ने कहा, बिल्कुल समझ में आया। पहली बात तो यह है कि जीभ की इच्छा इतनी प्रबल है कि सामने मृत्यु खड़ी हो तो भी दिखाई नहीं पड़ती।

दूसरी बात यह समझ में आयी कि भय मृत्यु से भी बड़ा भय है। मृत्यु सामने खड़ी है, उससे यह भयभीत नहीं है चूहा; लेकिन भय से भयभीत है कि कहीं सांप हमला न कर दें।

*शिक्षा:-*
हम भी मृत्यु से भयभीत नहीं हैं, भय से ज्यादा भयभीत हैं। 
ऐसे ही जिह्वा का स्वाद इतना प्रगाढ़ है कि मौत चौबीस घंटे खड़ी है, फिर भी हमें दिखाई नहीं पड़ती है और हम अंधे होकर कुछ भी डकारते रहते हैं।

No comments:

Post a Comment